त्रिपुरा भैरवी जन्मोत्सव
-
चण्डी पाठ एवं हवन
- मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन माँ त्रिपुरा भैरवी का अवतरण दिवस मनाया जाता है
- मार्गशीर्ष की पूर्णिमा के दिन प्रदोष समय में माँ त्रिपुरा भैरवी का पूजन किया जाता है|
- माँ को श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें|
माँ का योगदान स्वरूप सृष्टि के निर्माण और संहार में अतुल्नीय माना गया है। इसके अतिरिक्ति ऐसा भी माना जाता है कि माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं। हिन्दु कथाओं के अनुसार माँ भैरवी के कुल अन्य तेरह प्रकार के स्वरुप हैं और इनके प्रत्येक स्वरुप का बहुत ही अधिक महत्व है। इनकी पूजा पूरे विधि विधान से करने से भक्तों को अतुल्नीय सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
महत्ता –
ऐसा माना जाता है कि त्रिपुर भैरवी की पूजा अर्चना करने से भक्त के सभी बंधन दूर हो जाते है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को न केवल सफलता बल्कि सर्वसंपदा की भी प्राप्ति होती है। चाहें वो शक्ति-साधना हो अथवा भक्ति-मार्ग हो भक्त किसी भी रुप में देवी मां की उपासना कर सकते है क्योंकि यह दोनो ही तरह से फलदायी सिदध होती है।
Share Now:-