दस महाविद्या श्री त्रिपुर भैरवी काशी
चण्डी पाठ एवं हवन।
गुप्त नवरात्र में की जाती है 10 महाविद्याओं की पूजा।
गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है। वहीं, प्रकट नवरात्र चैत्र और आश्विन माह में मनाई जाती हैं। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है।
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने के अनुमति मांगती हैं, तो शिव जी ने यह कहकर उन्हें मना कर दिया कि हमें निमंत्रण नहीं मिला है, तो ऐसे में हमारा यज्ञ में जाना उचित नहीं है। इस पर माता सती क्रोधित हो जाती हैं और उन्होंने महाकाली का रूप धारण किया। शिव जी यह रूप देखकर उनसे दूर भागने लगे।
भगवान शिव जिस दिशा में जाते हैं, माता सती उन्हें रोकने के लिए उसी दिशा में अपना एक विग्रह प्रकट कर देती हैं। इस प्रकार दसों दिशाओं में मां सती ने दस रूप लिए थे। इस प्रकार देवी दस रूपों में विभाजित हो गईं, जिनसे अंत में शिव जी उन्हें यज्ञ में भाग लेने की अनुमति प्रदान करते हैं। यही दस महाविद्याएं कहलाईं।
महाविद्याओं की दिशा
- काली मां – उत्तर दिशा
- तारा देवी – उत्तर दिशा
- मां षोडशी – ईशान दिशा
- देवी भुवनेश्वरी – पश्चिम दिशा
- श्री त्रिपुर भैरवी – दक्षिण दिशा
- माता छिन्नमस्ता – पूर्व दिशा
- भगवती धूमावती – पूर्व दिशा
- माता बगलामुखी – दक्षिण दिशा
- भगवती मातंगी – वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम दिशा)
- माता श्री कमला – नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम का मध्य स्थान)
सिद्धियों की प्राप्ति के लिए साधक की मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं।
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